5 Easy Facts About Shodashi Described

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श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥१॥

ऐं क्लीं सौः श्री बाला त्रिपुर सुंदरी महादेव्यै सौः क्लीं ऐं स्वाहा ह स क ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं ॐ ह स क ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं

The Shreechakra Yantra encourages the advantages of this Mantra. It is far from Obligatory to meditate in front of this Yantra, however, if You should buy and utilize it through meditation, it can give awesome Added benefits to you. 

One of the most revered amid these would be the 'Shodashi Mantra', and that is mentioned to grant both equally worldly pleasures and spiritual liberation.

वर्गानुक्रमयोगेन यस्याख्योमाष्टकं स्थितम् ।

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥६॥

सर्वज्ञादिभिरिनदु-कान्ति-धवला कालाभिरारक्षिते

लक्षं जस्वापि यस्या मनुवरमणिमासिद्धिमन्तो महान्तः

The story is really a cautionary tale of the strength of need as well as necessity to acquire discrimination via meditation and subsequent the dharma, as we development inside our spiritual route.

She's depicted as a 16-year-aged Lady by using a dusky, purple, or gold complexion and a 3rd eye on her forehead. She is without doubt one of the 10 Mahavidyas and it is revered for her elegance and energy.

Within the fifth auspicious working day of Navaratri, the Lalita Panchami is celebrated as being the legends say that this was the working day if the Goddess emerged from hearth to kill the demon Bhandasura.

शस्त्रैरस्त्र-चयैश्च चाप-निवहैरत्युग्र-तेजो-भरैः ।

The Goddess's victories check here are celebrated as symbols of the last word triumph of good around evil, reinforcing the moral material on the universe.

यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।

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